Monday, 11 June 2012

मर्चेन्ट नेवी में जहाजों के जरिये एक ही देश में या विभिन्न देशों में एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाह तक कार्गो या गुड्स ट्रांसपोर्ट किये जाते हैं। इनमें प्रयुक्त जहाजों का प्रयोग आयात एवं निर्यात में व्यापक रूप से होता है जिसमें सुई से लेकर हवाई जहाज तक शामिल हैं। स्टूडेंट्स इसमें अपनी रुचि और योग्यता के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रों में कॅरियर बना सकते हैं, क्योंकि मर्चेन्ट नेवी में कई विभाग होते हैं, लेकिन मुख्यतया तीन विभाग प्रमुख होते हैं- डेक डिपार्टमेंट, इंजन डिपार्टमेंट एवं हाउसकीपिंग (स्टुवर्ड) डिपार्टमेंट।
डेक डिपार्टमेंट- इस विभाग के अंतर्गत् डेक आफिसर्स आते हैं जिन्हें नेवीगेशन आफिसर्स भी कहते हैं। डेक आफिसर्स शिप के लिये जिम्मेदार होते हैं। शिप्स पर अनुशासन, वेसेल के सुरक्षित चालन, पैसेन्जर्स की सुरक्षा, आंशिक रूप से कार्गो आपरेशंस और क्रू के प्रति उत्तरदायित्व इनका प्रमुख कार्य होता है। इसके अतिरिक्त भी और भी कार्य करने होते हैं। इस विभाग में डेक कैडेट से लेकर कैप्टन तक की रैंक होती है। शिप का कैप्टन जिसे मास्टर ऑफ द शिप भी कहते हैं, शिप का इंचार्ज होता है।
इंजन डिपार्टमेंट- इस विभाग की प्रमुख तौर पर जिम्मेदारी मरीन इंजीनियर्स पर होती है। इंजीनियरिंग ऑफिसर्स पर शिप्स की हर तरह की मशीनरीज(इंजन, ब्वॉयलर, इलेक्ट्रिकल, रेफ्रिजिरेटिंग, सेनिटरी इक्विपमेंट, डेक मशीनरी और स्टीम कनेक्शन वगैरह) को मेंटेन करने से लेकर इसे संचालित करने तथा नियंत्रित करने का कार्य होता है। इस विभाग में जूनियर इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक की रैंक होती है। चीफ इंजीनियर इस विभाग का प्रमुख होता है।
हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट- हाउसकीपिंग विभाग लिविंग एवं कैटरिंग सेवायें देता है। फूड एवं बेवरेज की देखरेख एवं उपलब्धता से लेकर शिप की हाउसकीपिंग तक का पूरा काम इस विभाग के अंतर्गत् होता है। इस विभाग में चीफ कुक से लेकर चीफ स्टुअर्ड तक रैंक होती है।
शैक्षिक योग्यता
इस कोर्स के लिये टेन प्लस टू या इसके समकक्ष परीक्षा भौतिकी, रसायन शास्त्र एवं गणित के साथ 55 प्रतिशत अंकों के साथ पास होना जरूरी है। साथ ही अंग्रेजी विषय में भी पास होना जरूरी है। वैसे किसी भी स्ट्रीम से बैचलर डिग्री लेने के बाद मरीन इंजीनियरिंग या नॉटिकल साइंस में डिप्लोमा करके भी इस क्षेत्र में जाया जा सकता है।
इंटरमीडिएट भौतिकी, गणित, रसायन शास्त्र से उत्तीर्ण छात्र डायरेक्ट डेक कैडेट के तौर पर भी ज्वाइन कर सकता है। साथ ही जिनके पास मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग की डिग्री है वो भी मर्चेन्ट नेवी में प्री-सी ट्रेनिंग द्वारा डायरेक्ट डेक कैडेट्स के लिये ज्वाइन कर सकते हैं जो कि रिक्रूटिंग कम्पनीज स्वयं कंडक्ट करवाती हैं। प्री-सी कोर्स 9 माह का होता है जिसे एम ई आर ई कंडक्ट कराता है। सभी कोर्सेस हेतु मेडिकल फिटनेस, नेत्र क्षमता 6 बाय 6 और कलर ब्लाइंडनेस नहीं होना चाहिये।
कोर्स में प्रवेश
वर्ष में एक बार आइआइटी. और इंडियन मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के जरिये मरीन इंजीनियरिंग या नॉटिकल साइंस के कोर्सेज में प्रवेश लिया जा सकता है। इन राजकीय संस्थानों में प्रवेश परीक्षा, जीडी एवं इंटरव्यू के माध्यम से प्रवेश लिया जा सकता है। मर्चेन्ट नेवी में एंट्री के लिये आई एम यू भी प्रवेश परीक्षा आयोजित कराता है। यह गवर्नमेंट बॉडी है जिसके अंतर्गत् सात कालेज आते हैं। इसके अलावा और बहुत सारे प्राइवेट कालेज हैं जहां डिप्लोमा कोर्स किये जा सकते हैं।
यू. के. एवं आस्ट्रेलियन प्रक्रिया
कैपेला मैरीटाइम कॅरियर इंस्टीट्यूट(सी. एम. सी. आई.) द्वारा चलायी जा रही यह प्रक्रिया भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य है। यह उन छात्रों के लिये अति उपयोगी है जो मेधावी होते हुये किसी कारण परीक्षा में नंबर प्राप्त नहीं कर सके। इसमें न्यूनतम योग्यता टेन प्लस टू पी. सी. एम., पी. सी. बी. 50 प्रतिशत अंकों के साथ एवं कामर्स के छात्र जिन्होंने टेन प्लस टू में गणित विषय लिया हो वो भी न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ मर्चेन्ट नेवी के लिये अप्लाई कर सकते हैं। मेडिकल फिटनेस, नेत्र क्षमता 6 बाय 6 और कलर ब्लाइंडनेस नहीं होना चाहिये।
बेहतर कॅरियर का विकल्प
मर्चेन्ट नेवी के तीनों ही विभागों में जाब्स के ढेरों अवसर हैं जिसमें 15 से 2 लाख रुपए प्रतिमाह तक वेतन मिलता है। विदेशी शिपिंग कंपनीज भी अच्छे जॉब्स आफर करती हैं। विश्व की सबसे बडी शिपिंग संस्था बिम्को और इंडियन सीफरेर फेदेद्रतिओं के सर्वे के अनुसार इस क्षेत्र में सन् 2015 तक लगभग 30 हजार क्वालिटी ऑफिसर्स की कमी होने वाली है।
जॉब्स ऑनशिप
- डेक साइड जॉब- डेक कैडेट, थर्ड आफिसर, सेकेंड ऑफिसर, चीफ आफिसर, कैप्टेन।
- इंजन साइड जॉब- इंजन कैडेट, फोर्थ इंजीनियर, थर्ड इंजीनियर, सेकेंड इंजीनियर, चीफ इंजीनियर।
- जी पी रेटिंग- क्रू मेंबर।
- ऑफ शोर जाब्स: पेट्रोलियम इंजीनियरिंग या नेवेल आर्किटेक्चर, एम बी ए इन पोर्ट मैनेजमेंट या हार्बर इंजीनियरिंग इत्यादि। सी. एम. सी. आई. के द्वारा आफसोर जाब्स के लिये भी तैयारी करायी जाती है। यह उन छात्रों के लिये है जिन्हें रोमांच एवं घूमना ज्यादा पसंद नहीं है। इसमें सन् 2015 तक 27 हजार जाब्स होंगे।
चंद्रेश त्रिपाठी

1 comment:





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